tag:blogger.com,1999:blog-7583875070473877420.post209052665019943749..comments2024-01-29T00:29:30.959-08:00Comments on भूषण (मैथिली गद्य पद्य ): हाथ पकड़लहुँ जखन सुमन केश्यामल सुमनhttp://www.blogger.com/profile/15174931983584019082noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-7583875070473877420.post-53716266742201426342012-05-18T06:23:24.834-07:002012-05-18T06:23:24.834-07:00दशा पूर्व के पहिल मिलन सँ, कहब कठिन ई सब जानय छी
स...दशा पूर्व के पहिल मिलन सँ, कहब कठिन ई सब जानय छी<br />साल एक, पल एक लगय छल, बढ़ल कुतुहल छन छन मन के<br /><br />कोना बात शुरू करबय हम, सोचि सोचिकय मन थाकल छल<br />भेटल छल हमरा नहि तखनहुँ, समाधान की, एहि उलझन के<br /><br /><br />क्या बात है जी!चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’https://www.blogger.com/profile/01920903528978970291noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7583875070473877420.post-64934171102950534222012-05-18T01:33:38.414-07:002012-05-18T01:33:38.414-07:00श्यामल
आशीर्वाद
बाहर हँसी ठहाका सभहक, सुनैत छलह...श्यामल <br />आशीर्वाद<br /><br /><br />बाहर हँसी ठहाका सभहक, सुनैत छलहुँ बस हम कोहबर सँ<br />चित चंचल मुदा सोचलहुँ बाँचल, चारि दिना एखनहुँ बन्धन के<br /><br />बहुत ही अद्भुत भावपूर्ण प्रेम विहल गीत <br />लिखते रहे साहित्य रत्न की उपाधी पायेंगुड्डोदादीhttps://www.blogger.com/profile/10381007322183223193noreply@blogger.com