Sunday, February 19, 2012

फागुन मौसम के श्रृंगार

होली छी रंगक त्योहार,
फागुन मौसम के श्रृंगार,
सगरो  फगुआक  गीत सँग  ढोल बजैया।
घर मे पिया बिनु कनिया किलोल करैया।।

पावनि बीतल एक साल के
तखनहिं   फगुआ   आबय।
बोल फुटल नहि कहियो जिनकर
सेहो गीत सुनाबय।
साँचो! फगुनक दिन अनमोल लगैया
घर मे पिया बिनु -----

पूआ औ पकवान बनाकऽ
सब   केँ   खूब  खुवेलहुँ।
एखनहुँ आँखि लगल देहरी पर
मुदा  अहाँ  नहिं  एलहुँ।
खेलहुँ किछुओ तऽ कबकब ओल लगैया।
घर मे पिया बिनु -----

बिनु जोड़ी के फागुन फीका
हर  एक  साल  चलि आबू।
लोक वेद हमरो संग मे
फगुआ     खूब     खेलाबू।
पिया! सुमन अहाँ केँ बकलोल कहैया।
घर मे पिया बिनु -----

1 comment:

  1. श्यामल
    आशीर्वाद
    बिनु जोड़ी के फागुन फीका, हरेक साल चलि आबू
    लोक-वेद आ हमरो संग मे, फगुआ खूब खेलाबू
    बार बार पढ़ी कविता बहुत सुंदर शब्दों में होली का वर्णन और विछोड़ा
    कौन सी पंक्ति पर न लिक्खूँ
    बधाई स्वीकार करें

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