जतबे भेटल यै शिक्षा, अपना केँ नित सम्हारू
दूषित कहीं जौं इच्छा,अपना केँ नित सम्हारू
असगर जीयब कठिन अछि, परिवार के जरूरी
जीवन सतत परीक्षा, अपना केँ नित सम्हारू
सम्बन्ध सब बढ़ाबथि, किछु मंथरा के कारण
सद्भाव केर उपेक्षा, अपना केँ नित सम्हारू
जिनगी सभक छै औसत, चौबीस हजार दिन के
पल-पल जगय शुभेच्छा, अपना केँ नित सम्हारू
सुख - दुख सँ रोज सीखू, जिनगी छी पाठशाला
एतबे सुमन - अपेक्षा, अपना केँ नित सम्हारू
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