Wednesday, May 23, 2012

रंग श्यामल-रंग मे

गीत  लिखलहुँ  आय - धरि  जे,  भावना  के  संग मे
ताहि  कारण  अछि  सुमन  के, रंग  श्यामल - रंग मे

भोगि चुकलहुँ जे एखनधरि, गीत-कविता मे लिखल
किछु समाजक  व्यंग्य - दोहा, किछु गजल के ढंग मे

नेनपन  केर तीत - मीठक, याद आबय अछि एखन
सुखक साधन सब अरजलहुँ, पर फँसल छी जंग मे

राति-दिन सोचय छी कहुना हो सफल जीवन अपन
ज्ञान - अर्जन  सँग   उठेलहुँ,  डेग   सबटा  उमंग  मे

सोचलहुँ  जेहेन  तेहेन, परिणाम  हमरा नहि भेटल
हार  मानब  नहि  पुनः,  कोशिश  करब  नवरंग मे

4 comments:

  1. आपकी पोस्ट 24/5/2012 के चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
    कृपया पधारें
    चर्चा - 889:चर्चाकार-दिलबाग विर्क

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  2. जे एखन तक भोगि चुकलहुँ, गीत आ कविता लिखल
    ...

    कविता,दोहा,गीत लिखल नीक छि
    आशीर्वाद शुभ कामनाये

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  3. "हार नहि मानब पुनः, कोशिश करब नवरंग मे"

    ई भेले नय.....

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  4. नीक भाव-
    गीत लिखलहुँ आइ तक जे, भावनाक सँगमे
    ताहि कारण छथि सुमन, रंगल श्यामल रंगमे

    जे एखन तक भोगि चुकलहुँ, गीत आ कविता लिखल
    किछु सामाजिक व्यंग्य दोहा, किछ गज़लक ढंगमे

    याद आबय खूब एखनहुँ, कष्ट नेनपनक मोनमे
    चाकरी तऽ नीक भेटल, किन्तु फँसल छी मोहमे

    छोट सन जिनगी कोनाकय, हो सफल नित सोचमे
    ज्ञान अर्जन सँग जिनगीक, बीत जाय उमंगमे

    सोचिकय चललहुँ जेहेन, परिणाम तेहेन भेटल नहि
    नहि हार मानब पुनः-पुनः कोशिश करब नवरंगमे.

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