मुदा लगत नहि तीतगर बोली
परिजन पर अधिकार प्रेमवश
बजैत रहय छी दीदगर बोली
पैघ छोट सब केँ मकान छै
सोच जेहेन तेहने दुकान छै
बेसी लोक भेटत एहने जे
अपने सँ घोषित महान छै
पेटक कारण गाम छुटि गेल
लीची, जामुन,आम छुटि गेल
जुड़लहुँ साहित्यिक - सेवा सँ
मगर पुरनका नाम छुटि गेल
बैसल - बैसल भकसय लोक
काज देखिकय घसकय लोक
नीक बात केर चर्चा कम्मे
कान मे फुसिये फुसकय लोक
उचित बात जौं ठीक लगैया
बिल्कुल न्याय प्रतीक लगैया
जे अधलाह, लोक छी हमरे
बात सुमन केर नीक लगैया
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