Thursday, April 4, 2024

पहलवान सब चढ़ल अखाड़ा

सोचू! किनका देबय वोट?
पहलवान सब चढ़ल अखाड़ा, कसिकय अपन लंगोट।।
सोचू! किनका -----

सब अपना केँ नीक कहय छथि, माँगथि अपन सपोर्ट।
बाजथि  सब  कियो  वो  गरीब  केँ, करता खूब प्रमोट।
सोचू! किनका -----

लोभ  बढ़ाबथि  लोक - वेद मे, बाँटि  बाँटिकय नोट।
एखन फँसब तऽ पाँच बरस तक, भेटत सिर्फ कचोट।।
सोचू! किनका -----

मदिरा, माछक सँग मे देखियौ, बँटा रहल अखरोट।
चौवनिया  मुस्की  सँ झाँपथि, अपना मोनक खोट।।
सोचू! किनका -----

हाथ जोड़िकय सब कियो औता, भाषण मे विस्फोट।
बूझि  सूझिकय  सुमन  अहाँ सब, करू वोट सँ चोट।।
सोचू! किनका -----

No comments:

Post a Comment