पहलवान सब चढ़ल अखाड़ा, कसिकय अपन लंगोट।।
सोचू! किनका -----
सब अपना केँ नीक कहय छथि, माँगथि अपन सपोर्ट।
बाजथि सब कियो वो गरीब केँ, करता खूब प्रमोट।
सोचू! किनका -----
लोभ बढ़ाबथि लोक - वेद मे, बाँटि बाँटिकय नोट।
एखन फँसब तऽ पाँच बरस तक, भेटत सिर्फ कचोट।।
सोचू! किनका -----
मदिरा, माछक सँग मे देखियौ, बँटा रहल अखरोट।
चौवनिया मुस्की सँ झाँपथि, अपना मोनक खोट।।
सोचू! किनका -----
हाथ जोड़िकय सब कियो औता, भाषण मे विस्फोट।
बूझि सूझिकय सुमन अहाँ सब, करू वोट सँ चोट।।
सोचू! किनका -----
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