अक्सर भेटल ओतऽ उपेक्षा,
सभहक सँग एहने किछु होय छै, सत्य बजय मे लाज की?
जौं दुनिया एहने बनि जायत, अहि दुनिया के काज की??
संत, मुनि, ग्रंथक भाषा मे, प्रेम बहुत अनमोल छै।
लेकिन लोकक बात सुनु तऽ, विषधर सन के बोल छै।
प्रेम आपसी जगबय खातिर, देब पुनः आवाज की?
जौं दुनिया एहने -----
आस पास मे एक दोसर के, उड़बय सब उपहास एखन।
सब सँ बेसी संकट मे अछि, आपस के विश्वास एखन।
शिक्षा के सँग बढ़लय कटुता, अछि भीतर मे राज की?
जौं दुनिया एहने -----
नर नारी के मिलन के कारण, जन्म सुमन भेल धरती पर।
बिता रहल छी हम सब जीवन, हरित धरा के परती पर।
मधुर प्रेम केँ छोड़ि परस्पर, ताकि रहल छी प्याज की?
जौं दुनिया एहने -----
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