सूरत देखय छी जखने, मुस्कान अछि अलोपित
सोझाँ पड़ल जौं कनिया, सब ज्ञान अछि अलोपित
बनलय महल सनक सब, पूजाक घर देखियौ
भीड़ो बहुत बढ़ल पर, भगवान अछि अलोपित
सुविधा घटेलौं हम सब, धिया - पुताक खातिर
अंतिम समय मे लोकक, सन्तान अछि अलोपित
नवका समय के घर मे, कमरा सभक अलग छै
पाहुन के घर बनल छै, मेहमान अछि अलोपित
पैघक नजरि मे रहिकय, बच्चा बनत समाजिक
लेकिन सुमन समय पर, दरबान अछि अलोपित