रीति बिगड़ि गेल जानय छी
चलू बैसिकय केँ कानय छी
असगरुआ जौं नहि नीक लागय
आओर लोक केँ आनय छी
समाधान आ कारण हमहीं
बात कियै नहि मानय छी
पैघ लोक के बात, सोचबय
के के एखन गुदानय छी
आस व्यर्थ छी बिना प्रयासक
फुसिये गप केँ तानय छी
नीक आओर अधलाह लोक केँ
कियै एक सँग सानय छी
लऽ कऽ चालनि सुमन हाथ मे
नीक लोक केँ छानय छी
श्यामल
ReplyDeleteआशीर्वाद
समाधान आ कारण हमहीं
बात कियै नहि मानय छी
जीवन समस्यों भरा है निदान होगा