कतबो बलशाली या ज्ञानी, सब हारय निज संताने सँ
किछुए दिन किनको मनमानी, सब हारय निज संताने सँ
गुरुजन के बात जवानी मे, जौं तीत लगय तखने सोचब
कियो कनिये दिन राजा - रानी, सब हारय निज संताने सँ
अछि धिया-पुता जौं नीक अपन, नहि बाजू अपने लोक कहत
चाहे बात हमर नहिये मानी, सब हारय निज संताने सँ
बिन केने अपेक्षा किनको सँ, सहयोग करू जे संभव अछि
नहि देत कियो कौड़ी - कानी, सब हारय निज संताने सँ
किंचित घर आबय प्रतिद्वंदी, बैसयलय पीढ़ी ऊँच दियौ
अछि याद सुमन मातुल - बानी, सब हारय निज संताने सँ
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