Wednesday, August 27, 2025

सुमन केँ लागत कोना लाज

पूजा - पाठ  करय  किछु रोजे, मंदिर मे कर - जोड़ी।
मुदा करय  छथि  वो समाज मे, बलजोरी, सूदखोरी।
एहेन भक्ति केर छै की काज?
सुमन केँ लागत कोना लाज??

मूरख  सोचय  नीक हमहीं  टा, बाकी सब अधलाहे। 
जे  आन्हर  एहेन  स्वारथ  मे,  लागथि  पूर्ण  बताहे।
सोच  सभक जौं  एहने हेतय, बाँचत कोना समाज?
सुमन केँ लागत -----

सब ओझरायल  मोबाइल मे, घर मे गप-शप कम्मे।
बेरोजगारो व्यस्त रहय छथि, शायद कियो निकम्मे!
घर  मे  बाघ बनय फुसियौंका, बाहर बिन-आवाज।
सुमन केँ लागत -----

रोज  जमाना  आगां  बढ़तय, नव तकनीक जरूरी। 
कहुना  प्रेम  बचय  आपस  के,  चाहे  जे  मजबूरी।
सभक सृजन  केर  मूल  प्रेम छी, आ जिनगी राज।
सुमन केँ लागत -----

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