विजया दशमीक दिन। गामक मूर्ति-विसर्जनक पश्चात, गामक लोक सब गजानन बाबूक दरवाजा पर जमा भेलाह। बुझियो जे आन दिनका जेकाँ एक तरह सँ चौपाले लागि गेल। एक ग्रामीणक प्रश्न छल जे आय सम्पूर्ण देश मे विजया दशमीक पर्व अनेकानेक तरीका सँ मनाओल जाऽ रहल अछि। परन्तु अपना सभहक गाम घर मे नीलकंठ पक्षी केँ प्रयास पूर्वक ताकल जाइत अछि पुनि ओकरा उड़ाओल सेहो जाइत अछि कियैक?
गजानन बाबू बजलाह - देखियो नीलकंठ सँ हमरा सभहक जीवनक बहुत किछु जुड़ल अछि। हमर सभहक पूर्वज बहुत दूरदर्शी छलाह आ प्रतीकात्मक ढंग सँ अपना रिवाज मे बहुतो चीज एहेन जोड़ने रहथि जकर सरोकार आम-जिनगी सँ होइत छल। गाम घर मे आजुक दिन लोक सब नीलकंठ पक्षी केँ देखि अप्पन अप्पन जतरा (यात्रा शब्दक देशज रूप) बनाबय छथि आ नीलकंठक उड़य केर दिशा सँ भरि सालक जतरा केहेन रहत? एकर अनुमान करबाक लौकिक परम्परा सेहो अछि।
नीलकंठ एक बहुत उपयोगी पक्षी होइत अछि। खेत मे लागल फसल कें नुकसान पहुँचाबयबला जत्तेक कीड़ा, मकोड़ा एत्तेक तक की साँपो, नीलकंठक आहार थीक। आय-काल्हि जे खेत मे कीटनाशकक नाम पर जहर छीटल जाऽ रहल अछि ओकर कोनो जरूरते नहि छैक जौं नीलकंठ पक्षी टा बाँचल रहय। मुदा सुनबा आ देखबा मे आबि रहल अछि जे गिद्ध जेकाँ आय-काल्हि नीलकंठो अलोपित भऽ रहल अछि। देखारे नहि पड़ैत अछि। ई सबटा बेसी फसल आ बेसी दूधक कारणे जे सगरे जहर छीटल जाऽ रहल अछि, ओकरे परिणाम छी। जहिना गिद्ध एक उपयोगी पक्षी अछि, जकरा एक प्राकृतिक "सफाई-कर्मचारी" सेहो कहल जाइत अछि, तहिना नीलकंठ पक्षी सेहो फसल सहित मानवताक लेल बहुत उपयोगी अछि। गिद्धक ऊपर तऽ सरकारक ध्यान गेल आ आब ओकर सरकारी संरक्षण आ अभिवर्धनक उपाय भऽ रहल अछि। मुदा नीलकंठक बारे कोनो चर्चा कतहु नहि अछि?
प्रायः सब गाम मे अपने सब देखने हेबय जे गामक प्रवेशे-द्वार पर नीलकंठक मंदिर होइत अछि। मानू जे साक्षात नीलकंठ ओहि गामक रखबारी कऽ रहल छथि। ओहिनहियो हमरा "नीलकंठ" शब्द सँ बहुत प्रेम अछि। हमरा, अहाँ केँ वा किनको दिन मे कतेक बेर नीलकंठ बनऽ पड़ैत अछि? कहियो सोचने छिये?
गजानन बाबूक बजबाक क्रम जारी छल - समुन्द्र मंथनक पश्चात् जखन कालकूट जहर निकलल तखन देवगण चिन्तित भेलाह जे आब एहि जहरक कोन उपाय हेतय? बाहर फेंकने सँ संसारक नाश भेनाय निश्चित छैक। विस्तार मे नहि जाय छी कियैक तऽ ई खिस्सा सब गोटय जनिते होयब। भगवान शंकर तैयार भेलाह आ अपना कंठ मे ओहि कालकूट जहर केँ योगबल सँ स्थान देलखिन्ह जाहि कारणे हुनक कंठ नीला भऽ गेल आ हुनक नाम ताहि दिन सँ नीलकंठ भऽ गेल। जहरक ताप कम करबाक लेल हुनका जटा मे गंगा, माथा पर चन्द्रमा आ गरदैन मे साँप (सब शीतलताक प्रतीक) आबि गेल।
गजानन बाबू पुनि बजलाह -आब अपना अपना जिनगी मे सब सब कियो ईमानदारी सँ सोचय जाऊ जे परिवार होय वा समाज, आफिस होय वा बाजार - हमरा सब केँ कत्तेक बेर ओहेन काज विवशता मे करऽ पड़ैत अछि जे हम सचमुच हृदय सँ नहि करऽ चाहैत छी। मात्र परिवारक, समाजक, नौकरीक, व्यापारक रक्षा लेल। दोसर शब्द मे कही तऽ जहर पीबऽ पड़ैत अछि। कहू फुसियो कहय छी? आब सब कियो अपना मोने मोन सोचियो जे हमहुँ सब रोजे नीलकंठ बनय छी कि नहि? जाबत नीलकंठ नहि बाँचत आ जाबत हमसब नीलकंठ नहि बनब ताबत जिनगीक जतरा कोना बनत यौ? ताहि हेतु नीलकंठ बनय जाऊ। कोनो पारम्परिक बात केँ जीवन सँ जोड़ि देनाय ई गजानन बाबूक विद्वता आ तर्क-शक्तिक कमाल थीक जाहि सँ सब ग्रमीण प्रायः परिचिते छथि।
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