दूर भेल से आबिकय सटतय,
एक धर्म मानवता सभहक, जीबय लय संसार मे।
मुदा एखन पाखण्डी लोकक, चलती छै व्यवहार मे।।
पहिल तीर्थ परिवार हमर छी, जहिठां सभहक आदर हो।
जत्तेक सम्भव बूढ़ - पुरानक, इच्छा पूरित सादर हो।
बूढ़ लोक जौं दुखी रहत तऽ, घून लगत परिवार मे।।
मुदा एखन -----
गलती सब सँ हेबे करतय, बुझाऽ - सुझाऽ के माफ करू।
नेना - भुटका के भविष्य लय, रस्ता अगिला साफ करू।
सजग - लोक केँ भेटय हरदम, मजबूती आधार मे।।
मुदा एखन -----
धर्म - कर्म सँ जुड़ल रहू पर, जग-जीवन केर ध्यान रहय।
अप्पन भाषा, जन्मभूमि केर, सुमन - हृदय स्थान रहय।
तखने टा सहभागी बनबय, जीवन केर विस्तार मे।।
मुदा एखन ----
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