Friday, November 8, 2024

हम छी मरचाय अहाँ अंगूर

जहिया सँ पहिरब हमर सेनूर।
ओतबे करब जे कहबय हुजूर।।

चाहे जत्तेक हँसत समाज, कियै करब हम किनको लाज। 
अहाँक  इच्छा  सँ  करबय, घर - बाहर  केर सबटा काज।
सब दिन भेटत सुख भरपूर। 
ओतबे करब जे  -----

राखब सदिखन अहाँक ध्यान, सब दिन सेवा एक समान। 
पढ़ल - लिखल तऽ छी हमहुँ, मुदा अलोपित सबटा ज्ञान। 
अहाँ जूही चम्पा हम छी खजूर। 
ओतबे करब जे -----

आपस मे कोमल व्यवहार, सुखमय जीवन के आधार। 
अहाँ खुशी जौं  हमरा सँ, होयत सुमन  पर ई उपकार।
हम छी मरचाय अहाँ अंगूर। 
ओतबे करब जे  -----

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