जहिया सँ पहिरब हमर सेनूर।
ओतबे करब जे कहबय हुजूर।।
चाहे जत्तेक हँसत समाज, कियै करब हम किनको लाज।
अहाँक इच्छा सँ करबय, घर - बाहर केर सबटा काज।
सब दिन भेटत सुख भरपूर।
ओतबे करब जे -----
राखब सदिखन अहाँक ध्यान, सब दिन सेवा एक समान।
पढ़ल - लिखल तऽ छी हमहुँ, मुदा अलोपित सबटा ज्ञान।
अहाँ जूही चम्पा हम छी खजूर।
ओतबे करब जे -----
आपस मे कोमल व्यवहार, सुखमय जीवन के आधार।
अहाँ खुशी जौं हमरा सँ, होयत सुमन पर ई उपकार।
हम छी मरचाय अहाँ अंगूर।
ओतबे करब जे -----
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