हमर बदलि गेल रंग - ढंग सब, बदलल मिथिला-धाम।
सियाराम सँ छाँटि सिया केँ, बाजय छी श्री राम।
अनेरो गिरगिट अछि बदनाम।।
भारत के छः टा दर्शन मे, चारि लिखायल मिथिला मे।
तंत्र - मंत्र आध्यात्मक नगरी, कोना हेरायल मिथिला मे?
दिल्ली - पटना सब दिन ठगलक, भोगय छी परिणाम।
अनेरो गिरगिट -----
जे किछु विद्यालय सरकरी, हालत बिल्कुल खस्ता छै।
हरेक साल हम बाढ़ि मे डूबी, लोकक जीवन सस्ता छै।
लोक - जागरण सँ शासन पर, संभव लगय लगाम।
अनेरो गिरगिट -----
हर कारण के करू निवारण, कियै बिसरलहुँ मूल कतय?
जौं सचेत छी सुमन जगत मे, देखियौ अप्पन भूल कतय?
राम - राज्य लय राम सँ पहिने, जोड़ब सिया के नाम।
अनेरो गिरगिट -----
No comments:
Post a Comment