सुगना! मिथिला बनल विदेश।
संस्कार सब छूटल पहिने, देखियौ घर - घर क्लेश।
सुगना! मिथिला बनल -----
भेटत सगरो एहि धरती पर, मिथिला केर संतान।
जतय रहय छथि सतत करय छथि, परम्परा-सम्मान।
मुदा बुझायत मूल जगह पर, आबि गेलहुँ परदेश।
सुगना! मिथिला बनल -----
मिथिला सँ बाहर मैथिल केर, बढ़ल खूब आयोजन।
आन लोक अचरज सँ देखथि, मैथिल केर संयोजन।
अपना घर मे कम सहयोगी, जायत की संदेश?
सुगना! मिथिला बनल -----
आबैत रहियो जन्मभूमि पर, अनुभव अपन सुनाबू।
लोकक अनुभव सुनु गौर सँ, थपड़ी तखन बजाबू।
तखने लागत सुमन अहाँ केँ, मिथिला अप्पन देश।
सुगना! मिथिला बनल -----
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