Sunday, November 10, 2024

सुगना! मिथिला बनल विदेश

सुगना! मिथिला बनल विदेश।
संस्कार सब  छूटल  पहिने, देखियौ घर - घर क्लेश।
सुगना! मिथिला बनल -----

भेटत  सगरो  एहि  धरती  पर, मिथिला  केर संतान।
जतय रहय छथि सतत करय छथि, परम्परा-सम्मान।
मुदा बुझायत  मूल  जगह  पर, आबि  गेलहुँ  परदेश।
सुगना! मिथिला बनल -----

मिथिला सँ बाहर मैथिल केर, बढ़ल खूब आयोजन।
आन लोक अचरज सँ देखथि, मैथिल केर संयोजन।
अपना  घर  मे   कम  सहयोगी,  जायत  की  संदेश?
सुगना! मिथिला बनल -----

आबैत रहियो जन्मभूमि पर, अनुभव अपन सुनाबू। 
लोकक अनुभव सुनु  गौर  सँ, थपड़ी तखन बजाबू।
तखने  लागत  सुमन अहाँ केँ, मिथिला अप्पन देश।
सुगना! मिथिला बनल -----

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