करता बकबक हम्मर कक्का
बोली हुनकर बहुत कड़ा पर
कपड़ा झकझक हम्मर कक्का
काज करय छथि सबटा लेकिन
करथि अचानक हम्मर कक्का
रोज अनेरो वो चिकरय छथि
लगय भयानक हम्मर कक्का
सतत नारियल बनि जीवथि जे
वो अभिभावक हम्मर कक्का
मोने मोन सिखय छथि सब सँ
छथि गुण-ग्राहक हम्मर कक्का
सुमन जरूरत नीक लोक के
सचमुच नायक हम्मर कक्का
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