धीया-पुता दुख नहि बूझय, हँसी मुँह पर साटय छी
खरचा एक पुराबय खातिर, दोसर खरचा काटय छी
आजुक युग मे कम्प्यूटर बिनु, नवतुरिया सब की पढ़तय
मुदा माँग पर, टाका नहि तेँ, बच्चा सब केँ डाँटय छी
बनल बसूला सम्बन्धी-जन, बाजय मीठगर बोली यौ
दुख मे रहितहुँ पर विवेक सँ, सभहक हिस्सा बाँटय छी
अपन हृदय मे भाव जेहेन छल, बुझलहुँ छै तेहने दुनिया
चीन्हा गेल अछि अप्पन-अदना, हुनके सबकेँ छाँटय छी
सुमन संगिनी जीवन भेटल, रूप मनोहर काया संग
दुख भीजल तऽ चोकर आमक, रूप देखिकय फाटय छी
श्यामल
ReplyDeleteआशीर्वाद
बनल बसूला सम्बन्धी-जन, बाजय मीठगर बोली यौ
दुख मे रहितहुँ पर विवेक सँ, सभहक हिस्सा बाँटय छी
कद से ऊंचा बस्ता है भारी कम्पुटर की खेल जारी (पर कईं)