भेद भाव बिनु सबकय जोड़ू, बाँचत तखन समाज हमर
सबकियो मिलिकय बाजू सगरे, चाही मिथिला राज हमर
राज बहुत पहिने सँ मिथिला, छिना गेल अछि साजिश मे
जाबत ओ सम्मान भेटत नहि, बाँचत कोना लाज हमर
विविध विषय के ज्ञानी मैथिल, दुनिया मे भेटत सगरे
मुँह बन्द राखब कहिया तक, के सुनतय आवाज हमर
आजादी के बादो सब दिन, भेल उपेक्षा सरकारी
बहल विकासक गंगा सगरे, बाँचल खाली काज हमर
सज्जनता श्रृंगार सुमन छी, दिल्ली बुझलक कमजोरी
जागू मिथिलावासी आबो, मैथिल मिथिला नाज हमर
सबकियो मिलिकय बाजू सगरे, चाही मिथिला राज हमर
राज बहुत पहिने सँ मिथिला, छिना गेल अछि साजिश मे
जाबत ओ सम्मान भेटत नहि, बाँचत कोना लाज हमर
विविध विषय के ज्ञानी मैथिल, दुनिया मे भेटत सगरे
मुँह बन्द राखब कहिया तक, के सुनतय आवाज हमर
आजादी के बादो सब दिन, भेल उपेक्षा सरकारी
बहल विकासक गंगा सगरे, बाँचल खाली काज हमर
सज्जनता श्रृंगार सुमन छी, दिल्ली बुझलक कमजोरी
जागू मिथिलावासी आबो, मैथिल मिथिला नाज हमर
श्यामल
ReplyDeleteआशीर्वाद
भेद भाव बिनु सबकय जोड़ू, बाँचत तखन समाज हमर
सबकियो मिलिकय बाजू सगरे, चाही मिथिला राज हमर
सुंदर गजल समाज के भेद भाव पर कटाक्ष
आजादी के बादो सब दिन, भेल उपेक्षा सरकारी
ReplyDeleteबहल विकासक गंगा प्रायः, बाँचल खाली काज हमर
....aazadi ke baad kitna vikas hua hai janta ko khoob bataya jaata hai par hakeekit....
bahut badiya sateek chintran..