गीत लिखलहुँ आयतक जे, भावना के सँग मे
ताहि कारण अछि सुमन के, रंग श्यामल रंग मे
जे एखन तक भोगि चुकलहुँ, गीत आ कविता लिखल
किछु समाजिक व्यंग्य दोहा, किछ गज़ल के ढंग मे
याद आबय खूब एखनहुँ, कष्ट नेनपन के सोझाँ
नौकरी तऽ नीक भेटल, पर फँसल छी जंग मे
छोट सन जिनगी कोनाकय, हो सफल नित सोचलहुँ
ज्ञान अर्जन सँग जिनगीक, डेग सबटा उमंग मे
सोचिकय चललहुँ जेहेन, परिणाम तेहेन नहि भेटल
हार नहि मानब पुनः, कोशिश करब नवरंग मे
ताहि कारण अछि सुमन के, रंग श्यामल रंग मे
जे एखन तक भोगि चुकलहुँ, गीत आ कविता लिखल
किछु समाजिक व्यंग्य दोहा, किछ गज़ल के ढंग मे
याद आबय खूब एखनहुँ, कष्ट नेनपन के सोझाँ
नौकरी तऽ नीक भेटल, पर फँसल छी जंग मे
छोट सन जिनगी कोनाकय, हो सफल नित सोचलहुँ
ज्ञान अर्जन सँग जिनगीक, डेग सबटा उमंग मे
सोचिकय चललहुँ जेहेन, परिणाम तेहेन नहि भेटल
हार नहि मानब पुनः, कोशिश करब नवरंग मे
आपकी पोस्ट 24/5/2012 के चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
ReplyDeleteकृपया पधारें
चर्चा - 889:चर्चाकार-दिलबाग विर्क
जे एखन तक भोगि चुकलहुँ, गीत आ कविता लिखल
ReplyDelete...
कविता,दोहा,गीत लिखल नीक छि
आशीर्वाद शुभ कामनाये
"हार नहि मानब पुनः, कोशिश करब नवरंग मे"
ReplyDeleteई भेले नय.....
नीक भाव-
ReplyDeleteगीत लिखलहुँ आइ तक जे, भावनाक सँगमे
ताहि कारण छथि सुमन, रंगल श्यामल रंगमे
जे एखन तक भोगि चुकलहुँ, गीत आ कविता लिखल
किछु सामाजिक व्यंग्य दोहा, किछ गज़लक ढंगमे
याद आबय खूब एखनहुँ, कष्ट नेनपनक मोनमे
चाकरी तऽ नीक भेटल, किन्तु फँसल छी मोहमे
छोट सन जिनगी कोनाकय, हो सफल नित सोचमे
ज्ञान अर्जन सँग जिनगीक, बीत जाय उमंगमे
सोचिकय चललहुँ जेहेन, परिणाम तेहेन भेटल नहि
नहि हार मानब पुनः-पुनः कोशिश करब नवरंगमे.