व्यर्थ कियै दालान बनाबी
घर केँ तोड़ि मकान बनाबी
टाका अछि तऽ आदर भेटत
द्वारो पर दोकान बनाबी
आगाँ पाछाँ लोक घूमत जौं
सज्जन केँ नादान बनाबी
बच्चा सब केँ हास्टल भेजू
कुक्कुर केँ सन्तान बनाबी
जीवन देलक आस लगाऽ जे
मातु पिता निम्झान बनाबी
सबटा सुख हमरे लग आबय
एहेन कियै अरमान बनाबी
हमहुँ जीबी लोकक संग मे
दुनिया सुमन महान बनाबी
घर केँ तोड़ि मकान बनाबी
टाका अछि तऽ आदर भेटत
द्वारो पर दोकान बनाबी
आगाँ पाछाँ लोक घूमत जौं
सज्जन केँ नादान बनाबी
बच्चा सब केँ हास्टल भेजू
कुक्कुर केँ सन्तान बनाबी
जीवन देलक आस लगाऽ जे
मातु पिता निम्झान बनाबी
सबटा सुख हमरे लग आबय
एहेन कियै अरमान बनाबी
हमहुँ जीबी लोकक संग मे
दुनिया सुमन महान बनाबी
बच्चा सब केँ हास्टल भेजू
ReplyDeleteकुक्कुर केँ सन्तान बनाबी
जीवन देलक आस लगाऽ जे
मातु पिता निम्झान बनाबी
कड़वा सच का व्यंग
बहुत नीक भावपुर्ण आ लयबद्ध रचना ।
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