Thursday, July 24, 2025

नीक कामना पहिने लोकक

मैया! कतेक दूर चलि गेलहुँ।?
ओतेक स्नेह सँ कियो ने पूछय, सुमन अहाँ की खेलहुँ??
मैया! कतेक -----

छाया  ममता  केर  आँचर  के, याद  करैत  मन  पागल। 
देर  राति  जहिया  घर  एलहुँ,  अहाँ केँ देखलहुँ जागल।
धिया-पुता केर नीकक खातिर, सबकिछु अहाँ लुटेलहुँ।।
मैया! कतेक -----

प्रातःकालक  वो  स्वर - लहरी, लागय  भेल अलोपित।
अक्सर  स्नेह  एखन  जे  भेटय, सब  लागय आरोपित। 
अमिट  छाँह  जे  सहज - स्नेह  के, भगवन् दूर करेलहुँ।।
माता! कतेक -----

नीक  कामना  पहिने  लोकक, तकर बाद अपना लय।
ओहने  भाव हृदय मे जागय, जीयब ओहि सपना लय।
दूरो  छी पर अहींक चरण मे, निशि-दिन ध्यान लगेलहुँ।।
मैया! कतेक -----

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