करय पड़य छै बारी-बारी,
अप्पन जीबय केर तैयारी,
सबटा काज करू पर राखब, प्रेम आपसी ध्यान मे।
जन्म हमर भेल प्रेमक कारण, नित राखू संज्ञान मे।।
ई दुनिया अछि प्रेमक सागर, की ताकय छी बाहर मे।
जखन बाहरी दुनिया सँ भी, पैघ जगत अछि भीतर मे।
प्रेमक महिमा भरल ग्रंथ मे, आ गीता के ज्ञान मे।।
जन्म हमर -----
घर - घर मे जे पैसल झगड़ा, सुलझत प्रेमक बोली सँ।
भूल भेल किनको सँ घर मे, बुझियौ भेल हमजोली सँ।
सुखी रहब जौं कलह सँ बेसी, राखब ध्यान निदान मे।।
जन्म हमर -----
प्रेम सँ एलहुँ, ईश-प्रेम लय, जग सँ बाहर हम जायब।
पुनर्जन्म केँ जौं मानय छी, पुनः सुमन जग मे आयब।
सगरो सतत प्रेम अछि पसरल, भगवानो इन्सान मे।।
जन्म हमर -----
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