Sunday, July 6, 2025

भगवानो इन्सान मे

करय पड़य छै बारी-बारी,
अप्पन जीबय केर तैयारी,
सबटा  काज  करू  पर  राखब, प्रेम आपसी ध्यान मे। 
जन्म  हमर  भेल  प्रेमक  कारण, नित  राखू संज्ञान मे।।

ई दुनिया अछि  प्रेमक  सागर, की ताकय छी बाहर मे।
जखन बाहरी दुनिया सँ भी, पैघ जगत अछि भीतर मे।
प्रेमक  महिमा  भरल  ग्रंथ  मे, आ  गीता  के  ज्ञान मे।।
जन्म हमर -----

घर - घर मे  जे पैसल झगड़ा, सुलझत प्रेमक बोली सँ।
भूल भेल किनको सँ घर मे, बुझियौ भेल हमजोली सँ। 
सुखी रहब जौं कलह सँ बेसी, राखब ध्यान निदान मे।।
जन्म हमर -----

प्रेम सँ एलहुँ, ईश-प्रेम लय, जग सँ बाहर हम जायब।
पुनर्जन्म केँ जौं मानय छी, पुनः सुमन जग मे आयब।
सगरो  सतत  प्रेम अछि पसरल, भगवानो इन्सान मे।।
जन्म हमर -----

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