वो पढ़ल-लिखल जाहिल, जौं पैसल हृदय जलन।
जीयब सुख सँ मुश्किल, , जौं पैसल हृदय जलन।।
जिनका नहि आगां सूझय, नहि अप्पन सुख-दुख बूझय।
रूसल - झगड़ालू चेहरा, बिन बातक सब केँ लूझय।
मुश्किल बैसब महफिल, , जौं पैसल हृदय जलन।।
जीयब सुख सँ -----
अछि ज्ञानक खाली - ढाकी, पर मरचाय सन बेबाकी।
स्वारथ मे चरण पखारय, निकलत एक दिन चालाकी।
वो बनत कोना काबिल, , जौं पैसल हृदय जलन??
जीयब सुख सँ -----
पहिने बनियो परिवारक, अहाँ तखने बनब समाजक।
जे लोक-वेद सँ सीखय, संभव वो बनथि प्रशासक।
वो सुमन सभक कातिल, , जौं पैसल हृदय जलन।।
जीयब सुख सँ -----
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