अपने टा मुख्तारी छै
जीबय के लाचारी छै
बेसी लागल परनिंदा मे
कम्मे लोक विचारी छै
दोसरो के भी बात सुनु
कियै लागय भारी छै
सब ताकय कोना लूटी
चारू तरफ शिकारी छै
ज्ञानक मान दियौ सबकेँ
नर चाहे ओ नारी छै
जिनगी तऽ कटबे करतै
सबकेँ अपन सवारी छै
कविता लिखता रोज सुमन
बहुत पैघ बीमारी छै
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