जीवन मे भेल बहुते अवहेलना हमर
तैयो सुमन जीबैत रहल होश जोश मे
जागैत रहल नीनो मे चेतना हमर
सोचू कनेक मन मे किनक बात सुनय छी
सुनलाक बाद राह अपन मन सँ चुनय छी
भेलहुँ असफल तऽ देलहुँ दोसरे केर दोष
असगर मे बैसि रोज अपन माथ धुनय छी
जिनगी लगल यै बन्धक सबके पड़ोस मे
वो लोक भेटय कम्मे बिल्कुल जे होश मे
बुधियार स्वयं केँ हम साबित करैत छी
ऊपर सँ हँसी नकली भीतर छी रोष मे
लागैया जिनगी नाटक सब खेल रहल छी
सोचू जीबय छी सुख सँ या झेल रहल छी
भेटत जे बेसी लोक बात दु:ख के करत
लागैया अपन जिनगी बस ठेल रहल छी
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