केहेन भेल गणतंत्रक हाल?
दिल्ली मे जे मचल बबाल।
दोष कृषक के या सरकारी?
दुनु केलक दुखद कमाल।
मूलमंत्र अछि हमर अहिंसा,
निश्चित ओहि पर उठत सवाल।
हम नहि राखब तऽ के राखत?
देश, समाजक रोज खियाल।
हालत बिगड़ल एहेन देश के,
लोकतंत्र लागय बेहाल।
दुनिया भरि मे लोकतंत्र के,
केवल ठाढ़ एखन कंकाल।
कर्तव्यक सँग प्रश्न उठाबू,
शुरू सुमन करियौ तत्काल।
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