हमहीं टा छी ठीक जगत मे, नित्य एहेन व्यवहार करय छी
किछु भरोस लोको पर करियौ, व्यर्थ कियै तकरार करय छी
सभहक ढंग जीबय केर अप्पन, छुपल जाहि मे अनुभव नूतन
जौं सीखय छी हम बच्चो सँ, अपना पर उपकार करय छी
घर के मुर्गी दालि बराबर, कहबी केर उपयोग सरासर
मोल - हीन घर के प्रतिभा केँ, हम सब बारम्बार करय छी
कानय छी भगवान पास मे, दुख हरता बस एहि आस मे
कर्म - भूमि छी धरती अप्पन, कर्मे सँ इन्कार करय छी
हम ताकय छी गलती बाहर, सुमन जे पैसल अपने भीतर
जीवन हुनक सफल हेतय जौं, दोष अपन स्वीकार करय छी
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