Thursday, June 9, 2011

दहेज

माँगू दहेज भरमार यौ,
चलू बड़का कहाबी।।

भेटल पड़ोसी कय जे किछु दहेज।
रखला एखन तक सबटा सहेज।
कम नहि करब स्वीकार यौ।
चलू बड़का कहाबी।।

बेटा अपन छी बेटी छी आन।
नहि दऽ सकै छी बेटी लऽ प्राण।
दुनियाँ बनल व्यापार यौ।
चलू बड़का कहाबी।।

बेटा आ बेटी के अन्तर मेटाबू।
बेटी जनम लियै थपड़ी बजाबू।
बेटी सुमन श्रृंगार यौ।
चलू बड़का कहाबी।।

3 comments:

  1. बहुत सुन्दर... बेटा बेटी के अंतर को मिटाने वाली रचना ...

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