Saturday, June 25, 2011

होइया कनिको लाज?

खाऽ कऽ जाऊ मचान पर खेलू बैसिकय ताश।
राति अन्हरिया की करत सोलर लेम्प प्रकाश।।

बेटा बेटी सूति गेल की कनिया केर मोल।
मस्त रहू सब छोड़िकय ट्वेन्टी नाइन बोल।।

चारि गोटय नहिये भेटल कियै करय छी रंज।
दूइ गोटय छी संग मे शुरू करू शतरंज।।

बैसलाहा कत्तेक दिना जाऽ कऽ ताकू काज।
भोजन करबा काल मे होइया कनिको लाज।।

काज भेटल हमरा कहाँ जूनि सुमन समझाऊ।
अपना वश केर बात छी आलस रोज भगाऊ।।

4 comments:

  1. काज के जुनि चिंता करू , रहू मस्त मलंग ,
    चारि चौकठि जमल रहे , चाहे टूटय कुर्सी पलंग

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  2. bahut sundar
    mere blog se bhi update rahe
    chhotawritersblogspot.comap aate rahiye aur apni raay se hamara utsaah vardhan karte rahhiye

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  3. achchi rachna hai...
    pr inko poori tarah se samajhne ke liye mujhe maithili seekhni hogi...

    Maithili bhasha ke prachar ke liye aapko shubhkamnaayen

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