खाऽ कऽ जाऊ मचान पर खेलू बैसिकय ताश।
राति अन्हरिया की करत सोलर लेम्प प्रकाश।।
बेटा बेटी सूति गेल की कनिया केर मोल।
मस्त रहू सब छोड़िकय ट्वेन्टी नाइन बोल।।
चारि गोटय नहिये भेटल कियै करय छी रंज।
दूइ गोटय छी संग मे शुरू करू शतरंज।।
बैसलाहा कत्तेक दिना जाऽ कऽ ताकू काज।
भोजन करबा काल मे होइया कनिको लाज।।
काज भेटल हमरा कहाँ जूनि सुमन समझाऊ।
अपना वश केर बात छी आलस रोज भगाऊ।।
राति अन्हरिया की करत सोलर लेम्प प्रकाश।।
बेटा बेटी सूति गेल की कनिया केर मोल।
मस्त रहू सब छोड़िकय ट्वेन्टी नाइन बोल।।
चारि गोटय नहिये भेटल कियै करय छी रंज।
दूइ गोटय छी संग मे शुरू करू शतरंज।।
बैसलाहा कत्तेक दिना जाऽ कऽ ताकू काज।
भोजन करबा काल मे होइया कनिको लाज।।
काज भेटल हमरा कहाँ जूनि सुमन समझाऊ।
अपना वश केर बात छी आलस रोज भगाऊ।।
काज के जुनि चिंता करू , रहू मस्त मलंग ,
ReplyDeleteचारि चौकठि जमल रहे , चाहे टूटय कुर्सी पलंग
अच्छे दोहे...
ReplyDeletebahut sundar
ReplyDeletemere blog se bhi update rahe
chhotawritersblogspot.comap aate rahiye aur apni raay se hamara utsaah vardhan karte rahhiye
achchi rachna hai...
ReplyDeletepr inko poori tarah se samajhne ke liye mujhe maithili seekhni hogi...
Maithili bhasha ke prachar ke liye aapko shubhkamnaayen