Sunday, June 5, 2011

निरीक्षण

अपने सँ देखब दोष कहिया अपन
ध्यान सँ साफ दर्पण मे देखू नयन

बात बड़का केला सँ नञि बडका बनब
करू कोशिश कि सुन्दर बनय आचरण

माटि मिथिला के छूटल प्रवासी भेलहुँ
मातृभाषा विकासक करू नित जतन

नौकरीक आस मे नहिं बैसल रहू
राखू नूतन सृजन के हृदय मे लगन

खूब कुहरै छी बेटीक विवाहक बेर
अपन बेटाक बेर मे दहेजक भजन

व्यर्थ जिनगी अगर मस्त अपने रही
करू सम्भव मदद लोक भेटय अपन

सत्य-साक्षी बनू नित अपन कर्म केर
आँखि चमकत फुलायत हृदय मे सुमन

3 comments:

  1. बहुत बढ़िया !
    मेरी नयी पोस्ट पर आपका स्वागत है : Blind Devotion - स्त्री अज्ञानी ?

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  2. नौकरीक आस मे नहिं बैसल रहू
    राखू नूतन सृजन के हृदय मे लगन
    bahut khoob
    rachana

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  3. खूब कुहरै छी बेटीक विवाहक बेर
    अपन बेटाक बेर मे दहेजक भजन
    दहेज़ प्रताड़ना इन पंक्तिओं में
    (नीक लिखत अन्छिं
    सुभ कामनाएं

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