Thursday, August 18, 2022

गीत जिनगीक रोज गाबय छी

किछ पाँति लिखय छी काटय छी
गीत जिनगीक रोज गाबय छी

खेल नेनपन मे जे सीखेने छल
आब हुनके एखन खेलाबय छी

भीड़ चहुँओर अछि मनुक्खक के
लोक अप्पन ओहि मे ताकय छी

ज्ञान एत्तऽ कहू छै कम किनका
तैयो जबरन हमहुँ सुनाबय छी

चोरि घूसखोरी कऽ धनिक भेलाऽ
हुनके जयकार बस लगाबय छी

मेल आपस के गेल खटाई मे
तैयो हम नित कलह बढ़ाबय छी

आब कत्तेक दिना सुमन सूतब
आबिकय रोज हम जगाबय छी

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