Thursday, August 18, 2022

लेकिन अप्पन गाम जगाबू

रहू कतहु आ कतहु कमाबू।
लेकिन अप्पन गाम जगाबू।।

पढ़ल लिखल सब बाहर गेल।
सचमुच गाम पिछड़िये गेल।
अक्सर बोली सुनबय टेढ़।
काज बिना बस गप्पक ढेर।
अनुशासन केर घोर अभाव।
टेढ़-बोलिया केर बढ़ल प्रभाव।
कोशिश करू, विराम लगाबू।
लेकिन अप्पन -----

मरनी हरनी, व्याहक भोज।
ओहि पर चर्चा सुनबै रोज।
बहुत लोक केँ छन्हिं अवकाश।
झुण्ड बना कऽ खेलथि ताश।
महिला सभहक हाल, बेहाल।
कम्मे लोक रखय छथि ख्याल।
मिथिला, मैथिल नाम बचाबू।
लेकिन अप्पन -----

सुनल, सुनाओल नहि छी बात।
भोगल सत्य, हृदय आघात।
गाम बचत तऽ बचतय देश।
संस्कारित भेटत परिवेश।
मिथिला संस्कृति केर पहचान।
डेग डेग पर पसरल ज्ञान।
ज्ञान सुमन अविराम बढ़ाबू।
लेकिन अप्पन -----

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