Sunday, August 21, 2022

जागैत रहल नीनो मे चेतना हमर

 हम गीत जतेक लिखलहुँ छी वेदना हमर
जीवन मे भेल बहुते अवहेलना हमर
तैयो सुमन जीबैत रहल होश जोश मे
जागैत रहल नीनो मे चेतना हमर

सोचू कनेक मन मे किनक बात सुनय छी
सुनलाक बाद राह अपन मन सँ चुनय छी
भेलहुँ असफल तऽ देलहुँ दोसरे केर दोष
असगर मे बैसि रोज अपन माथ धुनय छी

जिनगी लगल यै बन्धक सबके पड़ोस मे
वो लोक भेटय कम्मे बिल्कुल जे होश मे
बुधियार स्वयं केँ हम साबित करैत छी
ऊपर सँ हँसी नकली भीतर छी रोष मे

लागैया जिनगी नाटक सब खेल रहल छी
सोचू जीबय छी सुख सँ या झेल रहल छी
भेटत जे बेसी लोक बात दु:ख के करत
लागैया अपन जिनगी बस ठेल रहल छी

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