जे सूतल से जगबे करतय
राज-काज सब करबे करतय
पहिल प्रश्न रोटी अछि जग मे
घर सँ लोक निकलबे करतय
कर्मक फल सँ के बाँचल अछि
करब नीक, यश बचबे करतय
आय अन्हरिया काल्हि ईजोरिया
मौसम रोज बदलबे करतय
संस्कार छूटल अप्पन तऽ
चैन हिया के जरबे करतय
नेना भुटका सुख सँ जीबय
अपन स्वप्न सब गढ़बे करतय
सुमन बढ़ू,बस नेक सोच सँ
शेष लोक भी बढ़बे करतय
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